#25_जुलाई_फूलन_की_शहादत
देश-विदेश में 14फरवरी को युवक और युवतियां प्यार के दिन के रुप मनाते हैं लेकिन 14फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने कानपुर देहात (रमाबाई नगर) मुख्यालय माती के बेहमई गांव में कुएं के पास दिन दहाड़े एक ही जाति के 22 ठाकुरों को एक कतार में खड़ा करके गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी, जिसे प्रदेश का सबसे बड़ा नरसंहार कहा जाता है। बेहमई गांव में रहने वाले लोगों के दिलो में जिसकी दहशत आज भी है। इस कांड के अधिकतर आरोपी लोगों की मौत हो चुकी है और वादी भी नहीं रहे, जो जिन्दा हैं वह चल फिर नहीं पाते। भले ही फूलन देवी की हत्या हो गयी हो लेकिन बेहमई काण्ड का फैसला अभी तक नहीं आया और इस गांव में आज तक होली नहीं मनायी गयी है।
वीरांगना फूलन देवी का जन्म 10अगस्त 1963 को यमुना पट्टी में बसे ग्राम गोरहा पुरवा मजरा शेखपुर गुढा़ ब्लॉक महेवा कोतवाली व तहसील कालपी जनपद जालौन मुख्यालय उरई के मल्लाह परिवार में हुआ था। वह पिता देवीदीन व माता मूला देवी की संतान थी। 11वर्ष की नाबालिग आयु में ही इनका बाल विवाह कानपुर देहात जिले के महेश पुरा गांव में 30वर्षीय विधुर व शराबी पुत्ती लाल निषाद से कर दिया गया किन्तु वे पति के यौन शोषण और मारपीट से तंग आकर अपने मायके में रहने लगीं। पारिवारिक जमीन के विवादों ने इन्हें कंगाल किन्तु जीवट का मजबूत बना दिया। उच्च जातीय लड़कों द्वारा बलात्कार किए जाने के बाद इनका लगाव सजातीय डाकू विक्रम मल्लाह से हो गया। चूंकि उस समय यमुना और चम्बल के बीहड़ों में कानपुर देहात जिले की ब्लाक राजपुर के गांव दमनपुर के डकैत सहोदर बंधु ठाकुर लाला राम और श्रीराम का जबरदस्त डंका बजता था और खूंखार सिक्का भी चलता था। विक्रम भी इन्हीं के गिरोह में था किन्तु फूलन द्वारा अपराधों में सक्रिय सहभागिता के कारण विक्रम की ताकत बढ़ गयी और उसने अपना खुद का अलग गिरोह बना लिया। बस यहीं से विक्रम और लाला राम में जातीय दंभ के तहत हुई दुश्मनी के कारण विक्रम की हत्या ठाकुर बंधुओं ने कर दी इससे फूलन देवी कमजोर पड़ गयीं। इसके बाद ठाकुर बंधुओं ने उनको पकड़ कर अपने गिरोह के साथ कानपुर देहात की तहसील सिकंदरा थाना व ब्लॉक राजपुर के यमुना पट्टी में ही बसे ठाकुर बाहुल्य गांव बेहमई मजरा खोजा रामपुर बंगर में फूलन देवी के साथ सामूहिक बलात्कार किया और गांव में निर्वस्त्र करके घुमाया और कुंए से निर्वस्त्र ही पानी भरवाया और गांव के ठाकुर हँसते हुए तमाशायी बन कर यह घिनौना दृश्य देखकर प्रतिवाद करना तो दूर की बात बल्कि खड़े खड़े सारा मंजर देखते रहे क्योंकि उनके सजातीय बंधुओं का गिरोह था। किसी तरह वहां से छूटने के बाद फूलन देवी ने एक बहुत बड़ा व शक्तिशाली गिरोह बनाया और खुद उसकी सरदार बनीं। कुछ समय बाद फूलन देवी को सूचना मिली कि ठाकुर बंधु अपने गिरोह सहित बेहमई में डेरा डाले है। 14 फरवरी 1981 को बेहमई में पहुंचने पर ठाकुर बंधु व उनका गिरोह तो नहीं मिला किन्तु गांव के 22 ठाकुरों को उसी कुंए के पास लाईन में खड़ा करके अपमान का बदला लेने के लिए एक साथ गोलियों से भून दिया। विदित हो कि कानपुर देहात और जालौन दोनों जिलों के मध्य से यमुना नदी बहती है जो दोनों जिलों के लिए डिवाइडर का भी काम करती है। उस समय उन पर 10,000 (दस हजार रुपये) का ईनाम रखा गया था। बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (14.01. 1980 -31.10. 1984) की सरकार से यह आश्वासन मिलने के बाद कि मृत्यु दण्ड नहीं दिया जायेगा, ग्वालियर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह (08.06. 1980- 10.03. 1985) के समक्ष अपने साथियों सहित 12फरवरी 1983 को आत्म समर्पण कर दिया। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वी.पी. सिंह (09.06. 1980- 18.07. 1982) थे। फूलन देवी की जिन्दगी का यह एक अजीब पहलू है कि जितने वर्ष की उम्र में उनकी शादी हुई उतने ही वर्ष उन्हें जेल में रहना पड़ा। ग्यारह वर्ष जेल में रहने के बाद रिहा होने पर उन्होंने उम्मेद सिंह से विवाह किया तथा 15फरवरी 1995 को "बौध्द धम्म" ग्रहण कर किया। इनके साथ शोषित व पीड़ित इकट्ठे होने लगे। यह जानकर मुलायम सिंह यादव ने अपनी समाजवादी पार्टी से फूलन देवी को 1996 में मिर्जापुर से लोक सभा का चुनाव लड़ाया और फूलन देवी भारी मतों से जीत कर पहली बार दस्यु सुन्दरी एवं बैंडिट क्वीन से सांसद बनीं। जब वे दूसरी बार सांसद थीं तब संसद सत्र के दौरान संसद से घर लौटते समय नई दिल्ली में उनके सरकारी आवास के निकट ही 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा नामक सिरफिरे ने तथाकथित ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के लिए उनकी हत्या कर दी। कहा जाता है कि उन्होंने 24 अप्रैल 2001 को "एकलव्य सेना" बनायी थी जो आगामी चुनावों में प्रतिभाग करती इसलिए राजनैतिक साजिशन उनकी हत्या करा दी गयी। फूलन देवी सिर्फ शोषित वर्ग की ही नहीं बल्कि महिला वर्ग के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है जिसने अपने अपमान का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों को एक कतार में खड़ा करके गोली मार दी थी। फूलन देवी का जीवन हमारे समाज की स्त्रियों, शोषितों व पिछड़ो के प्रति ओछी मानसिकता का भी जीता जागता उदाहरण है। भारत में जातीय भेदभाव किस तरह व्यापक रूप से दैनिक जीवन में फैला है यह जानना हो तो फूलन देवी की जीवन यात्रा एक अनुपम उदाहरण है। यह कटु सत्य है कि जितनी भी लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार होता है वह सभी लगभग 95% एससी एसटी ओबीसी समाज की ही होती हैं। सम्पूर्ण भारत में जितने भी बलात्कार होते हैं उनमें से यदि केवल 2% ने भी फूलन देवी को अपना आदर्श मानकर उनकी भांति कार्य अंजाम दिया होता तो 98% बलात्कार होने ही बंद हो जाते।
एक दौर था जब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फूलन देवी के नाम की धमक थी। दस्यु सुंदरी से सांसद बनी फूलन की एक निगाह पड़ते ही इलाक़े के लोगों की कि किस्मत बदल जाती थी। बीहड़ के दिनो में अमीरों को लूटकर गरीबों की मदद करने की उनकी इस अदा ने उन्हें इलाक़े का रॉबिनहुड ही बना दिया था। लोगों की मदद करने की शैली फूलन के सांसद बनने के बाद भी नहीं बदली। मगर अब फूलन इस दुनिया में नहीं है और उनकी बूढ़ी मां दर-दर की ठोकरें खा रही है। फूलन चार बहनों में तीसरे नंबर पर थीं, उनकी छोटी बहन रामकली की भी अभाव की जिंदगी जीते हुए मृत्यु हो गयी, पाँच बहन भाइयों में से केवल वह ही मां मूला देवी के साथ रहती थी। एक छोटा भाई शिव नारायण निषाद मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही है, जो परिवार सहित ग्वालियर में रहता है। उनके पिता देवी दीन की भी मृत्यु हो चुकी है।
विश्व इतिहास की सबसे श्रेष्ठ विद्रोही महिलाओं की 08मार्च2011 को "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" के अवसर पर ग्लोबल लिस्ट जारी करते हुए अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित साप्ताहिक अंग्रेज़ी पत्रिका "TIME MAGAZINE" ने अपने प्रकाशित अंक में फूलन देवी को चौथे नंबर पर रखा। भारत से वे अकेले ही इस लिस्ट में हैं। इस लिस्ट में कुल 16 नाम निम्न हैं ...
1. तवाकुल करमान (यमन),
2. आंग सांग सू की (म्यांमार),
3. कोराजोन एक्विनो (फिलिपींस),
4. फूलन देवी (भारत),
5. एंजेला डेविस (अमेरिका),
6. गोल्डा मायर (इजरायल),
7. विल्मा लुसिला इस्पिन (क्यूबा),
8. जेनेट जगन (गुयाना),
9. जिआंग किंग (चीन),
10. नदेझदा क्रुपस्काया (रूस),
11. सुसान बी एंथनी (अमेरिका),
12. इम्मेलिन पानखुरस्त (ब्रिटेन),
13. हेरिएट टुबमैन (अमेरिका),
14. मैरी वुलस्टोनक्राफ्ट (ब्रिटेन),
15. जोआन अॉफ आर्क (फ्रांस),
16. बोउदिका (ब्रिटेन)।
देश-विदेश में 14फरवरी को युवक और युवतियां प्यार के दिन के रुप मनाते हैं लेकिन 14फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने कानपुर देहात (रमाबाई नगर) मुख्यालय माती के बेहमई गांव में कुएं के पास दिन दहाड़े एक ही जाति के 22 ठाकुरों को एक कतार में खड़ा करके गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी, जिसे प्रदेश का सबसे बड़ा नरसंहार कहा जाता है। बेहमई गांव में रहने वाले लोगों के दिलो में जिसकी दहशत आज भी है। इस कांड के अधिकतर आरोपी लोगों की मौत हो चुकी है और वादी भी नहीं रहे, जो जिन्दा हैं वह चल फिर नहीं पाते। भले ही फूलन देवी की हत्या हो गयी हो लेकिन बेहमई काण्ड का फैसला अभी तक नहीं आया और इस गांव में आज तक होली नहीं मनायी गयी है।
वीरांगना फूलन देवी का जन्म 10अगस्त 1963 को यमुना पट्टी में बसे ग्राम गोरहा पुरवा मजरा शेखपुर गुढा़ ब्लॉक महेवा कोतवाली व तहसील कालपी जनपद जालौन मुख्यालय उरई के मल्लाह परिवार में हुआ था। वह पिता देवीदीन व माता मूला देवी की संतान थी। 11वर्ष की नाबालिग आयु में ही इनका बाल विवाह कानपुर देहात जिले के महेश पुरा गांव में 30वर्षीय विधुर व शराबी पुत्ती लाल निषाद से कर दिया गया किन्तु वे पति के यौन शोषण और मारपीट से तंग आकर अपने मायके में रहने लगीं। पारिवारिक जमीन के विवादों ने इन्हें कंगाल किन्तु जीवट का मजबूत बना दिया। उच्च जातीय लड़कों द्वारा बलात्कार किए जाने के बाद इनका लगाव सजातीय डाकू विक्रम मल्लाह से हो गया। चूंकि उस समय यमुना और चम्बल के बीहड़ों में कानपुर देहात जिले की ब्लाक राजपुर के गांव दमनपुर के डकैत सहोदर बंधु ठाकुर लाला राम और श्रीराम का जबरदस्त डंका बजता था और खूंखार सिक्का भी चलता था। विक्रम भी इन्हीं के गिरोह में था किन्तु फूलन द्वारा अपराधों में सक्रिय सहभागिता के कारण विक्रम की ताकत बढ़ गयी और उसने अपना खुद का अलग गिरोह बना लिया। बस यहीं से विक्रम और लाला राम में जातीय दंभ के तहत हुई दुश्मनी के कारण विक्रम की हत्या ठाकुर बंधुओं ने कर दी इससे फूलन देवी कमजोर पड़ गयीं। इसके बाद ठाकुर बंधुओं ने उनको पकड़ कर अपने गिरोह के साथ कानपुर देहात की तहसील सिकंदरा थाना व ब्लॉक राजपुर के यमुना पट्टी में ही बसे ठाकुर बाहुल्य गांव बेहमई मजरा खोजा रामपुर बंगर में फूलन देवी के साथ सामूहिक बलात्कार किया और गांव में निर्वस्त्र करके घुमाया और कुंए से निर्वस्त्र ही पानी भरवाया और गांव के ठाकुर हँसते हुए तमाशायी बन कर यह घिनौना दृश्य देखकर प्रतिवाद करना तो दूर की बात बल्कि खड़े खड़े सारा मंजर देखते रहे क्योंकि उनके सजातीय बंधुओं का गिरोह था। किसी तरह वहां से छूटने के बाद फूलन देवी ने एक बहुत बड़ा व शक्तिशाली गिरोह बनाया और खुद उसकी सरदार बनीं। कुछ समय बाद फूलन देवी को सूचना मिली कि ठाकुर बंधु अपने गिरोह सहित बेहमई में डेरा डाले है। 14 फरवरी 1981 को बेहमई में पहुंचने पर ठाकुर बंधु व उनका गिरोह तो नहीं मिला किन्तु गांव के 22 ठाकुरों को उसी कुंए के पास लाईन में खड़ा करके अपमान का बदला लेने के लिए एक साथ गोलियों से भून दिया। विदित हो कि कानपुर देहात और जालौन दोनों जिलों के मध्य से यमुना नदी बहती है जो दोनों जिलों के लिए डिवाइडर का भी काम करती है। उस समय उन पर 10,000 (दस हजार रुपये) का ईनाम रखा गया था। बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (14.01. 1980 -31.10. 1984) की सरकार से यह आश्वासन मिलने के बाद कि मृत्यु दण्ड नहीं दिया जायेगा, ग्वालियर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह (08.06. 1980- 10.03. 1985) के समक्ष अपने साथियों सहित 12फरवरी 1983 को आत्म समर्पण कर दिया। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वी.पी. सिंह (09.06. 1980- 18.07. 1982) थे। फूलन देवी की जिन्दगी का यह एक अजीब पहलू है कि जितने वर्ष की उम्र में उनकी शादी हुई उतने ही वर्ष उन्हें जेल में रहना पड़ा। ग्यारह वर्ष जेल में रहने के बाद रिहा होने पर उन्होंने उम्मेद सिंह से विवाह किया तथा 15फरवरी 1995 को "बौध्द धम्म" ग्रहण कर किया। इनके साथ शोषित व पीड़ित इकट्ठे होने लगे। यह जानकर मुलायम सिंह यादव ने अपनी समाजवादी पार्टी से फूलन देवी को 1996 में मिर्जापुर से लोक सभा का चुनाव लड़ाया और फूलन देवी भारी मतों से जीत कर पहली बार दस्यु सुन्दरी एवं बैंडिट क्वीन से सांसद बनीं। जब वे दूसरी बार सांसद थीं तब संसद सत्र के दौरान संसद से घर लौटते समय नई दिल्ली में उनके सरकारी आवास के निकट ही 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा नामक सिरफिरे ने तथाकथित ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के लिए उनकी हत्या कर दी। कहा जाता है कि उन्होंने 24 अप्रैल 2001 को "एकलव्य सेना" बनायी थी जो आगामी चुनावों में प्रतिभाग करती इसलिए राजनैतिक साजिशन उनकी हत्या करा दी गयी। फूलन देवी सिर्फ शोषित वर्ग की ही नहीं बल्कि महिला वर्ग के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है जिसने अपने अपमान का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों को एक कतार में खड़ा करके गोली मार दी थी। फूलन देवी का जीवन हमारे समाज की स्त्रियों, शोषितों व पिछड़ो के प्रति ओछी मानसिकता का भी जीता जागता उदाहरण है। भारत में जातीय भेदभाव किस तरह व्यापक रूप से दैनिक जीवन में फैला है यह जानना हो तो फूलन देवी की जीवन यात्रा एक अनुपम उदाहरण है। यह कटु सत्य है कि जितनी भी लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार होता है वह सभी लगभग 95% एससी एसटी ओबीसी समाज की ही होती हैं। सम्पूर्ण भारत में जितने भी बलात्कार होते हैं उनमें से यदि केवल 2% ने भी फूलन देवी को अपना आदर्श मानकर उनकी भांति कार्य अंजाम दिया होता तो 98% बलात्कार होने ही बंद हो जाते।
एक दौर था जब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फूलन देवी के नाम की धमक थी। दस्यु सुंदरी से सांसद बनी फूलन की एक निगाह पड़ते ही इलाक़े के लोगों की कि किस्मत बदल जाती थी। बीहड़ के दिनो में अमीरों को लूटकर गरीबों की मदद करने की उनकी इस अदा ने उन्हें इलाक़े का रॉबिनहुड ही बना दिया था। लोगों की मदद करने की शैली फूलन के सांसद बनने के बाद भी नहीं बदली। मगर अब फूलन इस दुनिया में नहीं है और उनकी बूढ़ी मां दर-दर की ठोकरें खा रही है। फूलन चार बहनों में तीसरे नंबर पर थीं, उनकी छोटी बहन रामकली की भी अभाव की जिंदगी जीते हुए मृत्यु हो गयी, पाँच बहन भाइयों में से केवल वह ही मां मूला देवी के साथ रहती थी। एक छोटा भाई शिव नारायण निषाद मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही है, जो परिवार सहित ग्वालियर में रहता है। उनके पिता देवी दीन की भी मृत्यु हो चुकी है।
विश्व इतिहास की सबसे श्रेष्ठ विद्रोही महिलाओं की 08मार्च2011 को "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" के अवसर पर ग्लोबल लिस्ट जारी करते हुए अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित साप्ताहिक अंग्रेज़ी पत्रिका "TIME MAGAZINE" ने अपने प्रकाशित अंक में फूलन देवी को चौथे नंबर पर रखा। भारत से वे अकेले ही इस लिस्ट में हैं। इस लिस्ट में कुल 16 नाम निम्न हैं ...
1. तवाकुल करमान (यमन),
2. आंग सांग सू की (म्यांमार),
3. कोराजोन एक्विनो (फिलिपींस),
4. फूलन देवी (भारत),
5. एंजेला डेविस (अमेरिका),
6. गोल्डा मायर (इजरायल),
7. विल्मा लुसिला इस्पिन (क्यूबा),
8. जेनेट जगन (गुयाना),
9. जिआंग किंग (चीन),
10. नदेझदा क्रुपस्काया (रूस),
11. सुसान बी एंथनी (अमेरिका),
12. इम्मेलिन पानखुरस्त (ब्रिटेन),
13. हेरिएट टुबमैन (अमेरिका),
14. मैरी वुलस्टोनक्राफ्ट (ब्रिटेन),
15. जोआन अॉफ आर्क (फ्रांस),
16. बोउदिका (ब्रिटेन)।
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